तेल, सोना, चांदी पर नये कस्टम शुल्क लागू — CBIC ने संशोधित दरें जारी कीं

नई दिल्ली: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC), वित्त मंत्रालय के अंतर्गत, ने आयातित वस्तुओं पर लागू टैरिफ मूल्य (Tariff Values) में नया संशोधन जारी किया है। यह संशोधन 14 जून 2025 से प्रभावी हो गया है और इसमें खाद्य तेल, कीमती धातुएं (सोना-चांदी), पीतल स्क्रैप और सुपारी जैसी वस्तुओं की नई सीमा शुल्क मूल्य दरें निर्धारित की गई हैं।यह अधिसूचना मौजूदा दरों को निरस्त करती है और तीन प्रमुख तालिकाओं के माध्यम से आयातित वस्तुओं के लिए अद्यतन टैरिफ मूल्य प्रदान करती है।
संशोधित टैरिफ दरें-खाद्य तेल (Table-1):
तेल का प्रकार नई टैरिफ दर (USD/MT)
क्रूड पाम ऑयल 991 USD
RBD पाम ऑयल 1026 USD
क्रूड पामोलीन 1027 USD
RBD पामोलीन 1030 USD
क्रूड सोयाबीन ऑयल 1063 USD
CBIC द्वारा यह संशोधन अंतरराष्ट्रीय बाजार दरों की समीक्षा के आधार पर नियमित रूप से किया जाता है, ताकि वैश्विक कीमतों के अनुरूप भारतीय कस्टम प्रणाली में संतुलन बना रहे।
-कीमती धातुएं (Table-2):
वस्तु नई टैरिफ दर
सोना (बॉर्स व सिक्कों सहित) 1092 USD प्रति 10 ग्राम
चांदी 1171 USD प्रति किलोग्राम
-इसके साथ ही, अधिसूचना में विशेष प्रकार के गोल्ड और सिल्वर उत्पाद जैसे मेडलियन, सिक्के, गहनों में प्रयुक्त गोल्ड फाइंडिंग्स के लिए भी दरें एवं स्पष्टिकरण शामिल हैं।इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि विदेशी मुद्रा सिक्के और चांदी के गहने इस श्रेणी में शामिल नहीं होंगे।
-अन्य वस्तुएं (Table-3):
वस्तु टैरिफ मूल्य
सुपारी (Areca Nuts) 6970 USD/MT
सुपारी एक प्रमुख कृषि उत्पाद है, जिसकी गुणवत्ता और घोषित मूल्य को लेकर आयात पर विशेष निगरानी रखी जाती है।
-कानूनी एवं प्रशासनिक संदर्भ:
यह संशोधन मूल अधिसूचना संख्या 36/2001-Customs (N.T.), दिनांक 3 अगस्त 2001 में किया गया है। यह संशोधन 11 जून 2025 की अधिसूचना संख्या 42/2025-CUSTOMS (N.T.) के माध्यम से लाया गया है।
यह CBIC की नियमित पाक्षिक समीक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सीमा शुल्क के निर्धारण के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दरें बाजार की वर्तमान वास्तविकताओं के अनुरूप बनी रहें।
अधिसूचना का विवरण:
•अधिसूचना संख्या: F. No. 467/01/2025-Cus.V
•तारीख: 13 जून 2025
•प्रभावी तिथि: 14 जून 2025
नई दरों से न केवल आयातकों की कर देनदारी प्रभावित होगी, बल्कि इससे सरकार को राजस्व संतुलन और बाजार स्थिरता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। खाद्य तेल, कीमती धातुओं और सुपारी जैसे संवेदनशील आयातों पर यह नीति भारत की वित्तीय और व्यापारिक रणनीति को दर्शाती है।